इसके अलावा डीएमआरसी ने 5 लाख से ज्यादा गाड़ियों को सड़कों से दूर रखने में भी मदद की है। यह आंकड़ा 2019 से भी अधिक है, जब 4.74 लाख गाड़ियां मेट्रो की वजह से सड़कों पर नहीं निकलीं, क्योंकि जाम में फंसने के बजाय लोग मेट्रो से जाना ज्यादा पसंद किया। इससे दिल्ली में प्रदूषण को कम करने में भी बड़ी मदद मिल रही है। प्राकृतिक जीवाश्म वाले ईंधन से संचालित गाड़ियों के चलने से सड़कों पर धुआं निकलता है और उससे प्रदूषण फैलता है। वहीं जब लोग अपनी निजी गाड़ियां छोड़कर मेट्रो से यात्रा करते हैं, तो इससे प्रदूषण को रोकने में भी मदद मिलती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली मेट्रो करीब 7 लाख टन प्रदूषक तत्वों को पर्यावरण से हटाने में मददगार साबित हुई है, जो अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण आंकड़ा है। वैसे भी पर्यावरण को लेकर दिल्ली मेट्रो शुरू से ही काफी जागरूक, संवेदनशील और जवाबदेह संस्था के रूप में काम करती रही है। सोलर पावर के निर्माण और उसके इस्तेमाल के मामले में भी डीएमआरसी अपनी क्षमता को लगातार बढ़ा रही है, जिससे बिजली की बचत भी हो रही है।
अधिकारियों के मुताबिक, डीएमआरसी इस वक्त करीब 37 मेगावॉट सोलर पावर खुद जनरेट करती है, जिसका इस्तेमाल मेट्रो स्टेशनों पर लाइटिंग व अन्य कामों के लिए किया जाता है। इसके अलावा डीएमआरसी दुनिया की पहली ऐसी रेल आधारित संस्था या संगठन भी है, जिसे री-जनरेटिव ब्रेकिंग और अपने मॉडल शिफ्ट प्रयासों के लिए कार्बन क्रेडिट मिलते हैं।